Sunny Deol recounts a memorable incident during the shooting of 'Ghaatak' in Varanasi, where a wanted criminal and his gang sought him out. Vineet Kumar Singh shares his experience trying to catch a glimpse of Sunny Deol during the shoot amidst widespread rumors of his whereabouts. Randeep Hooda expresses his admiration for the film and the father-son relationship depicted in it.
The actors discuss the impact of OTT platforms on the film industry. Sunny Deol believes that movie theaters will not disappear, emphasizing the unique communal experience they offer. Randeep Hooda and Vineet Kumar Singh echo this sentiment, highlighting the shared emotions and energy experienced in a theatrical setting that's hard to replicate at home.
Sunny Deol expresses hope for audience reception of his new film, 'Jatt', confident that his characters resonate with viewers. He also touches upon the challenges faced by the film industry in balancing cost and accessibility of tickets for the viewers.
14 घंटे पहलेलेखक: आशीष तिवारी
फिल्म ‘जाट’ में दिग्गज एक्टर सनी देओल के साथ रणदीप हुड्डा और विनीत कुमार सिंह मुख्य भूमिका निभाते नजर आएंगे। फिल्म 10 अप्रैल को थिएटर में रिलीज होने जा रही है। ये पहली बार है, जब दोनों एक्टर सनी के साथ स्क्रीन शेयर कर रहे हैं।
दैनिक भास्कर से खास बातचीत में दोनों ने सनी और उनकी फिल्मों को लेकर अपनी यादें साझा की। वहीं, सनी ने फिल्म ‘घातक’ की शूटिंग का एक मजेदार किस्सा शेयर किया। पढ़िए एक्टर्स की बातचीत…
सवाल- सनी, आपकी फिल्म 'घातक' की शूटिंग बनारस में हुई थी। वहां से जुड़ी कोई याद जो आप बताना चाहेंगे?
जवाब- मुझे याद है कि उस वक्त लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल में नहीं था। शूटिंग के दौरान मैं जिस होटल में ठहरा था, वहां पर एक वांटेड आदमी अपने पूरे गैंग के साथ घूम रहा था। वो मुझसे मिलना चाहता था। उस समय ऐसी बहुत घटना होती थी। सिक्योरिटी वालों को भी नहीं समझ आ रहा था कि क्या करे। वो बस इधर-उधर घूम रहे थे।
सवाल- विनीत, फिल्म 'घातक' का बनारस से गहरा कनेक्शन है। आपकी क्या यादें जुड़ी हैं फिल्म और सनी भाई से?
जवाब- जब 'घातक' की शूटिंग बनारस में हो रही थी, तब मैंने देखने की पूरी कोशिश की लेकिन असफल रहा। किसी वजह से शूट डिले हुआ। उस वक्त पूरे शहर में खबर फैली कि सनी सर कहीं लस्सी पीने गए हैं। ऐसे में हम सब लस्सी की दुकानों पर घूम रहे थे। फिर पता चला कि सर होटल चले गए हैं तो पूरी भीड़ होटल के बाहर इकट्ठा हो गई। पूरा दिन अफवाहों के बीच सर को फॉलो करने में चला गया था।
मेरे पास ये एक याद फिल्म और सर से जुड़ी है। आज इनके साथ काम करने का मौका मिला है, मैं बहुत शुक्रगुजार और खुश हूं।
सवाल- रणदीप, सनी की कौन सी फिल्म आपकी पसंदीदा है और उनसे जुड़ी अपनी यादें बताइए?
जवाब- 'घातक' मुझे बहुत पसंद आई थी। उसमें बाप-बेटे का जो रिश्ता दिखाया गया था, वो कमाल था। वो बहुत ही इमोशनल फिल्म थी। अमरीश पुरी और सनी सर सबने बहुत अच्छा काम किया था। डैनी सर का स्टाइल काफी यूनिक था।
मेरे पास सनी सर की फिल्मों को लेकर काफी यादें हैं। धर्मेंद्र पाजी और सनी पाजी की फिल्मों का नॉर्थ में बहुत क्रेज था। लोगों के ये अपने हीरो लगते थे। अब जब मुझे इनके साथ काम करने का मौका मिला, तो मैंने सर का एक नया रूप देखा।
सवाल- कोविड के बाद फिल्में नहीं चल रही थी। ऐसे में आपकी फिल्म गदर-2 ने रिकॉर्ड बनाया। 'जाट' को लेकर क्या उम्मीदें हैं?
सनी- बस, उम्मीद करता हूं कि ऑडियंस ने अब तक मुझे जितना प्यार दिया है, इस फिल्म को भी देंगे। मेरे सारे किरदार उनके दिलो में बसे हुए हैं। इस फिल्म में भी मेरा रोल वैसा ही है, जिसे देखकर उन्हें गर्व महसूस होगा। थोड़ा डर लगता है लेकिन मुझे ये भी पता है कि बहुत सारे लोग मुझे प्यार करते हैं और वो देखने जरूर जाएंगे।
सवाल- हाल ही में नेटफ्लिक्स के सीईओ टेड सारंडोस ने कहा था कि ऑडियंस ओटीटी का रुख कर रहे हैं। थिएटर खत्म होने के कगार पर है। आप सबका क्या मानना है?
सनी- मुझे नहीं लगता कि मूवी थिएटर कभी भी खत्म होगा। थिएटर एक ऐसी जगह है, जहां आदमी अपने दुखों को भूलकर सपनों की दुनिया में जाता है। हमारे यहां सिनेमा लोगों की डीएनए में घुसी हुई है। अगर हम ऑडियंस को अच्छा कंटेंट देंगे तो वो बार-बार थिएटर आएंगे।
ऑडियंस सिनेमा देखने को राजी हैं, हम उन्हें वो चीज देनी होगी, जिससे वो जुड़ाव महसूस करें। मुझे तो आजकल का बिजनेस मॉडल भी समझ नहीं आता। टिकट इतना अफोर्डेबल होना चाहिए ताकि लोग दस बार फिल्म देख सके।
सवाल- रणदीप और विनीत इस पर आप दोनों का क्या मानना है?
रणदीप- ग्रुप में बैठकर देखने का एक जो एक्सपीरियंस है, वो सिर्फ सिनेमा से मिल सकता है। उस दौरान आप साथ में हंसते हो, रोते हो, खुश होते हो। वो एक फैलने वाली एनर्जी होती है। ऐसा फील आपको सिर्फ सिनेमा ही दे सकता है। घर में बैठकर भी आप इंजॉय कर सकते हो लेकिन सिनेमा हॉल वाला एहसास नहीं मिल पाएगा।
विनीत- मेरी फिल्म 'छावा' ने मुझे ये एहसास कराया है। इस फिल्म के दौरान लोगों ने मुझे थिएटर से वीडियो बनाकर भेजा है। जब फिल्म चलती है तो अच्छा लगता है। जो भी सनी पाजी और रणदीप भाई ने कहा वो सब कुछ मैंने 'छावा' के दौरान महसूस किया है। मुझे याद है कि सिनेमा का क्रेज ऐसा है कि लोग सनी पाजी की फिल्में ट्रक और ट्रैक्टर में भरकर देखने जाते थे।
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