Qatar India | Gujarat Tech Mahindra Regional Head Amit Gupta Case | टेक महिंद्रा के कंट्री हेड अमित कतर में कैद: फैमिली से 5 मिनट बात करने की परमिशन, बोले- मैं मर जाऊंगा, बाहर निकलवाओ | Dainik Bhaskar


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Amit Gupta's Detention in Qatar

Amit Gupta, the country head of Tech Mahindra in Qatar and Kuwait, has been detained in Qatar since January 1st. His family is appealing for his release, stating they are unaware of the charges against him. They describe his conditions as harsh and express concerns about his mental health.

Family's Account

Gupta's parents describe how he was abducted by four men in civilian clothing. They received limited contact through brief audio calls, during which Gupta repeatedly pleads for his release, stating he has done nothing wrong. His wife, also deeply concerned, states that Tech Mahindra is providing support but that government intervention is needed.

Official Responses and Uncertainties

The Indian embassy has confirmed consular access to Gupta, but the reasons for his detention remain unclear. The Qatari government has yet to release an official statement, and the family's legal efforts have faced hurdles in securing access for his lawyers. The family has sought help from various channels, including the PMO, Ministry of External Affairs, and local representatives, without significant progress.

Possible Explanations and Concerns

The family suspects a case of mistaken identity, citing the lack of recent interrogation. The article highlights the distress caused by the situation, emphasizing the family's desperation and the need for swift action to secure Gupta's release. There are parallels made to a previous case of arrested Indian naval officers in Qatar.

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मधुवन सोसाइटी के A-11 यानी गुप्ता निवास में इन दिनों उदासी भरा माहौल है। ONGC के रिटायर्ड कर्मचारी जेपी गुप्ता और उनकी पत्नी पुष्पा गुप्ता की जिंदगी थम सी गई है। उनके 40 साल के बेटे अमित गुप्ता कतर में 4 महीने से बंद हैं। अमित टेक महिंद्रा के कंट्री हेड के तौर पर कतर और कुवैत में काम कर रहे थे। 1 जनवरी को कतर स्टेट सिक्योरिटी ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

करीब 4 महीने बाद भी न तो अमित की रिहाई हुई और न ही ये साफ हुआ कि उन्हें किन आरोपों में हिरासत में रखा गया है। परिवार के लिए हफ्ते में दो बार आने वाली 5-5 मिनट की ऑडियो कॉल ही बेटे से कॉन्टैक्ट का अकेला जरिया है। ये कॉल भी सुकून देने के बजाय तनाव बढ़ा देती है।

परिवार का कहना है कि अमित हर कॉल में बस यही कहता है- ‘मुझे बाहर निकलवाओ, मैंने कुछ नहीं किया है। मैं यहां मर जाऊंगा।‘ पत्नी का कहना है कि 4 महीने से अमित बिनी कोई फेसिलिटी वाले एक कमरे में बंद हैं। वो डिप्रेशन में हैं। अगर उन्हें कुछ हुआ तो हमारा पूरा परिवार बिखर जाएगा।

सबसे पहले जानिए 1 जनवरी की रात क्या हुआ… खाना खाकर लौट रहे थे घर, 4 लोग जबरदस्ती उठा ले गए हम जब गुप्ता फैमिली के घर पहुंचे, तो अमित के माता-पिता उनकी रिहाई के लिए लोकल सांसद से मिलकर लौटे ही थे। हमने अमित के बारे में पूछा कि उन्हें कब और कैसे कस्टडी में लिया गया। इस पर मां पुष्पा रुंधे गले से बताती हैं, ‘1 जनवरी की रात करीब 9 बजे अमित बाहर खाना खाने गया था। तभी सिविल ड्रेस में 4 लोग आए और उसे गाड़ी से उतारकर हिरासत में ले लिया।‘

‘हमें दो दिन बाद ये सब तब पता चला, जब अमित का फोन नहीं लग रहा था। उसके दोस्त से पता चला कि कतर की स्टेट सिक्योरिटी ने उसे पूछताछ के लिए कस्टडी में लिया है। जब हमारा अमित से कॉन्टैक्ट हुआ, तब पता चला कि वो कितना परेशान है।

‘अमित ने हमें बताया कि शुरुआती 48 घंटे नरक की तरह बीते। उसे पूरे दो दिन एक कुर्सी पर बैठाए रखा गया। न खाना-पानी दिया और न ही सोने दिया गया। जब थकान से उसकी आंखें बंद होतीं, तो उसे जगा दिया जाता।‘

ये तस्वीर अमित के पिता जेपी गुप्ता और मां पुष्पा गुप्ता की है, वो बेटे की सकुशल रिहाई के लिए अफसरों और मिनिस्टर्स से गुहार लगा रहे हैं।

पहले कॉन्ट्रैक्ट में गड़बड़ी का पता चला, फिर डेटा चोरी का आरोप लगाया अमित को कस्टडी में लेने की वजह अब तक न उसे पता है और न ही फैमिली को। पिता जेपी गुप्ता कहते हैं, ‘पहले कंपनी ने बताया कि ये किसी कॉन्ट्रैक्ट या टेंडर से जुड़ा मामला हो सकता है। बाद में हमें पता चला कि डेटा चोरी जैसा कोई आरोप है, लेकिन हमारा बेटा निर्दोष है।‘

मां पुष्पा कहती हैं कि अमित को हिरासत में 20 दिन का एक्सटेंशन मिल चुका है।’

अमित कॉल पर बोले-’मां, मुझे बाहर निकलवाओ, नहीं तो मर जाऊंगा’’ अमित पहले सिर्फ बुधवार के दिन 5 मिनट की ऑडियो कॉल कर सकते थे। अब भारतीय राजदूत के दखल के बाद शनिवार को भी 5 मिनट के लिए कॉल कर सकते हैं। वीडियो कॉल की परमिशन नहीं है। हालांकि, अमित को अब तक अपनी पत्नी से बात करने की परमिशन नहीं मिली है। दोनों कॉल माता-पिता के पास ही आते हैं।

माता-पिता के लिए ये 5 मिनट की कॉल सबसे दर्दनाक होती है। पुष्पा बताती हैं, ’वो मानसिक रूप से टूट रहा है। हर कॉल में बस यही कहता है- मां, मुझे बाहर निकलवाओ, मैंने कुछ नहीं किया है, मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? मैं मर जाऊंगा। वो ये भी नहीं बताता कि क्या खाता है, कैसे रहता है। हमें डर है कि उसके मन में सुसाइड जैसे विचार न आ रहे हों।'

अमित की पत्नी और दोनों बच्चे पहले दोहा में ही रहे थे, अब नोएडा में अमित की ससुराल में रह रहे हैं क्योंकि उसके रिटायर्ड माता-पिता के लिए लाखों का खर्च उठाना मुमकिन नहीं था।

पत्नी बोलीं- अमित डिप्रेशन में, अगर उन्हें कुछ हुआ तो परिवार बिखर जाएगा अमित की पत्नी आकांक्षा गुप्ता भी बच्चों के साथ इस मुश्किल दौर का सामना कर रही हैं। वे कहती हैं कि हमें कतर सरकार ने आज तक नहीं बताया कि अमित को क्यों हिरासत में लिया गया है। आकांक्षा कहती हैं, ‘मेरी अमित से आखिरी बार 31 दिसंबर को वॉट्सएप पर चैट हुई थी। मैंने और बच्चों ने उन्हें नया साल विश किया। उन्हें जल्दी घर आने को कहा। उसके बाद से कोई बात नहीं हुई।‘

‘कतर की स्टेट सिक्योरिटी ने सिर्फ एक ही नंबर पर कॉल की परमिशन दी थी, जो शुरू में मेरे सास-ससुर का था। जनवरी से अब तक उन्हीं के पास कॉल जा रही है। बाद में जब दूसरे नंबर की परमिशन मिली, तो अमित ने मेरा नंबर रजिस्टर्ड करवाया। हालांकि, मेरे पास आज तक कोई कॉल नहीं आई।‘

'उन्होंने फोन पर अपने माता-पिता से कहा है कि मुझे बाहर निकलवाओ, नहीं तो मर जाऊंगा। उनके मन में ऐसे ख्याल आ रहे हैं। अगर उन्हें कुछ हो गया तो हमारा परिवार पूरी तरह बिखर जाएगा।'

आकांक्षा का कहना है कि इस पूरे मामले में अमित की कंपनी टेक महिंद्रा लगातार हमें सपोर्ट कर रही है। वे कहती हैं, ‘सीनियर स्टाफ एम्बेसी के साथ मिलकर केस का फॉलोअप ले रहे हैं। फिर भी हमें कहीं से कोई ऐसी उम्मीद की किरण नहीं दिख रही, जिससे मान सकें कि अब मेरे पति वापस आ रहे हैं। बस यही सुनते आ रहे हैं कि हम कोशिश कर रहे हैं। क्या कर रहे हैं, कैसे कर रहे हैं, ये नहीं पता।‘

अमित की पत्नी आकांक्षा ने इस मुश्किल वक्त में सरकार से मदद की अपील की है। वो चाहती हैं कि सरकार मामले में दखल दे और उनके पति को वापस लेकर आए।

PMO से लेकर एम्बेसी तक गुहार, पर सुनवाई कहीं नहीं अमित के माता-पिता मदद के लिए हर दरवाजा खटखटा चुके है। जेपी गुप्ता बताते हैं, ‘हमने PMO को लेटर लिखा, पावती (रिसीविंग) मिली, पर एक महीने में फाइल बंद कर दी गई। विदेश मंत्रालय और दिल्ली में कतर की एम्बेसी से भी कॉन्टैक्ट किया, लेकिन कोई प्रोग्रेस नहीं हुई।‘

परिवार कानूनी मदद के लिए भी संघर्ष कर रहा है। दोहा में दो वकील किए गए, लेकिन जेपी गुप्ता के मुताबिक, ‘अमित को आज तक वकील से मिलने नहीं दिया गया। वकील को पावर ऑफ अटॉर्नी चाहिए थी, जिस पर अमित ने 6 मार्च को साइन भी कर दिए, लेकिन वकील की उस तक पहुंच नहीं है।‘

पत्नी आकांक्षा ने बताया कि हमने मदद के लिए भारत सरकार तक पहुंचने की बहुत कोशिश की। सरकार के ऑनलाइन नागरिक पोर्टल पर रिक्वेस्ट डाली, लेकिन उसे बिना कोई ठोस वजह बताए और हमसे बिना कॉन्टैक्ट किए ही बंद कर दिया गया। बस इतना बताया कि रिक्वेस्ट फॉरवर्ड कर दी है। ये कहां और किसको की गई है, कुछ नहीं पता।

अमित के माता-पिता ने लोकल सांसद हेमांग जोशी से भी मुलाकात की। उन्होंने केंद्र सरकार तक बात पहुंचाने और कतर दूतावास से मिलने का भरोसा दिलाया है।

क्या ये गलत पहचान का मामला है? अमित के परिवार को शक है कि ये गलत पहचान का मामला हो सकता है। पिता जेपी गुप्ता कहते हैं, ‘हमें लगता है कि अधिकारी शायद किसी और की तलाश में हैं या जांच के नाम पर उसे बेवजह कैद कर रखा है। पिछले दो महीने से उससे कोई पूछताछ भी नहीं हो रही है।‘

अमित की मां के सरकार से सवाल, हमारी सुनवाई क्यों नहीं हो रही अमित की मां कहती हैं, ‘हम प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर से मिलने के लिए तरस रहे हैं। हमें समझ नहीं आ रहा कि हमारी पुकार उन तक क्यों नहीं पहुंच रही? पिछले साल प्रधानमंत्री ने खुद नेवी अफसरों को छुड़वाया। यूक्रेन से छात्रों को सुरक्षित निकाला। फिर हमारा बेटा सरकार के लिए इतना भारी क्यों हो गया?‘

वे आगे कहती हैं, ‘मैं एक मां हूं। हम तिल-तिलकर मर रहे हैं, रात को नींद की गोलियां लेनी पड़ती हैं। न जाने कितनी मन्नतें मांग चुके और पूजा-पाठ करा चुके हैं। मेरा बेटा निर्दोष है। मुझे उम्मीद है वो सही-सलामत लौटेगा और मुझे 'मां' कहकर गले लगाएगा।‘

परिवार को कंपनी और सरकार से दखल की उम्मीद परिवार अब टेक महिंद्रा के शीर्ष प्रबंधन खासकर चेयरमैन आनंद महिंद्रा और भारत सरकार से दखल की उम्मीद कर रहा है। जेपी गुप्ता का मानना है कि अगर आनंद महिंद्रा दखल देंगे तो शायद मदद मिले, लेकिन कंपनी प्रबंधन ने उन्हें महिंद्रा तक पहुंचने नहीं दिया।

मामले को लेकर अमित की कंपनी टेक महिंद्रा ने कहा है, ‘हम लगातार परिवार (अमित गुप्ता के) के कॉन्टैक्ट में हैं। उन्हें हर जरूरी मदद दे रहे हैं। हम दोनों देशों (भारत और कतर) के अफसरों के साथ भी तालमेल बैठा रहे हैं और पूरी प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हमारे कलीग अमित गुप्ता की सकुशलता तय करना हमारी पहली प्राथमिकता है।‘

सांसद ने कहा- ये सुनिश्चित करेंगे कि कार्रवाई आगे बढ़े अमित की फैमिली से मिलने के बाद वडोदरा के सांसद डॉ. हेमांग जोशी ने कहा, ‘माता-पिता की चिंता बिल्कुल स्वाभाविक और सार्थक है। इस मामले को संबंधित अधिकारी के सामने रखेंगे और जरूरी कार्रवाई कराने की कोशिश करेंगे।'

विदेश मंत्रालय ने कहा- कॉन्सुलर एक्सेस मिला, केस पर एम्बेसी की नजर इस मामले पर विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बयान जारी कर कहा, ‘दोहा में हमारी एम्बेसी इस केस से जुड़े घटनाक्रम पर करीब से नजर रख रही है। हमने अमित गुप्ता की सकुशलता जानने के लिए एक कॉन्सुलर एक्सेस (दूतावास संबंधी पहुंच) की भी रिक्वेस्ट की थी, जो 28 मार्च 2025 को हमें मिल भी गया।‘

‘हम उनके परिवार के सदस्यों और वकीलों के भी कॉन्टैक्ट में हैं। हमें पता चला है कि कतर में कुछ भारतीयों को एक या संबंधित मामलों में जांच के लिए कस्टडी में लिया गया है। उनकी फैमिली को उनसे मिलने की परमिशन दी गई है और वे रेगुलर अपनी फैमिली से फोन पर बात कर पा रहे हैं। हमारी एम्बेसी इन लोगों और उनके परिवारों को हर संभव मदद देना जारी रखेगी।‘

अगस्त 2022 में नौसेना के 8 पूर्व अफसरों की गिरफ्तारी के बाद ये कतर में भारतीयों को हिरासत में लेने का दूसरा हाई-प्रोफाइल मामला है। पिछले साल कतर के अमीर यानी चीफ रूलर ने उन आठ पूर्व नौसैनिकों को माफ कर दिया था। इन्हें कतर के पनडुब्बी प्रोग्राम की जासूसी करने का दोषी पाया गया था।

कतर ने अब तक कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया इस मामले में कतर सरकार ने अब तक कोई ऑफिशियल बयान जारी नहीं किया है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इसके पीछे एक बड़ी वजह ये है कि कतर इस मामले को पूरी तरह से इंटर्नल लीगल केस मानता है, जो उनके ज्यूडिशियल सिस्टम के अंडर है। इसलिए वे इस पर पब्लिकली कमेंट करना गैरजरूरी समझते हैं।

दूसरा, कई देशों की तरह, कतर का भी ये स्टैंड प्रोसेस हो सकता है कि वे चल रही कानूनी जांच या मामलों पर सार्वजनिक रूप से कमेंट न करें। खासकर जब तक कि कोई अंतिम फैसला न हो जाए। तीसरी वजह ये हो सकती है कि ये एक संवेदनशील मामला हो, जिसे कतर सरकार सार्वजनिक बहस के बजाय विशेष रूप से भारत के साथ निजी राजनयिक चैनलों के जरिए संभालना पसंद करती है।

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